चुप-चाप चुप-चाप
झरने का स्वर
हम में भर जाय,
चुप-चाप चुप-चाप
शरद की चाँदनी
झील की लहरों पर तिर आय,
चुप-चाप चुप-चाप
जीवन का रहस्य
जो कहा न जाय, हमारी
ठहरी आँखों में गहराय,
चुप-चाप चुप-चाप
हम पुलकित विराट में डूबें
पर विराट हम में मिल जाय _
चुप-चाप चुप-चाS S प …
कवि - अज्ञेय
संकलन - चुनी हुई कविताएं
प्रकाशक - राजपाल एंड सन्ज, दिल्ली, 1987
झरने का स्वर
हम में भर जाय,
चुप-चाप चुप-चाप
शरद की चाँदनी
झील की लहरों पर तिर आय,
चुप-चाप चुप-चाप
जीवन का रहस्य
जो कहा न जाय, हमारी
ठहरी आँखों में गहराय,
चुप-चाप चुप-चाप
हम पुलकित विराट में डूबें
पर विराट हम में मिल जाय _
चुप-चाप चुप-चाS S प …
कवि - अज्ञेय
संकलन - चुनी हुई कविताएं
प्रकाशक - राजपाल एंड सन्ज, दिल्ली, 1987
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