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शुक्रवार, 11 अप्रैल 2014

चुप-चाप (Chup-chap by Ajneya)

         चुप-चाप   चुप-चाप 
झरने का स्वर 
         हम में भर जाय,
चुप-चाप    चुप-चाप 
शरद की चाँदनी 
        झील की लहरों पर तिर आय,
चुप-चाप   चुप-चाप 
जीवन का रहस्य 
जो कहा न जाय, हमारी 
        ठहरी आँखों में गहराय,
चुप-चाप   चुप-चाप 
हम पुलकित विराट में डूबें 
         पर विराट हम में मिल जाय _

चुप-चाप     चुप-चाS S प …  


कवि -  अज्ञेय     
संकलन - चुनी हुई कविताएं     
प्रकाशक - राजपाल एंड सन्ज, दिल्ली, 1987

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