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गुरुवार, 17 अप्रैल 2014

एक अदद कविता (Ek adad kavita by Kunwar Narayan)


जैसे एक जंगली फूल की आकस्मिकता 
मुझमें कौंधकर मुझसे अलग हो गयी हो कविता 

और मैं छूट गया हूँ कहीं 
जहन्नुम के खिलाफ़ 
एक अदद जुलूस 
एक अदद हड़ताल 
एक अदद नारा 
एक अदद वोट 
और अपने को अपने ही 
देश की फटी जेब में सँभाले 
एक अवमूल्यित नोट 
सोचता हुआ कि प्रभो 
अब कौन किसे किसके-किसके नरक से निकाले ?



कवि - कुँवर नारायण
संग्रह - अपने सामने 
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 1979

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