मैं भेड़ों का रखवाला हूँ l
भेड़ें हैं मेरे विचार
और हर विचार एक संवेदना l
मैं सोचता हूँ अपनी आँखों से और अपने कानों से
और अपने हाथों और पैरों से
और अपनी नाक और अपने मुँह से l
एक फूल को सोचना है उसे देखना और सूँघना
और एक फल को खाना है उसके मायने जानना।
यही वजह है कि किसी एक गर्म दिन
जिससे मैं इतना आनंदित होता हूँ
मैं उदास महसूस करता हूँ,
और मैं घास पर लेट जाता हूँ
और अपनी गरमाई आँखें मूँद लेता हूँ,
तब मैं महसूस करता हूँ अपनी लेटी हुई पूरी देह यथार्थ में,
मैं सत्य को जानता हूँ, और मैं खुश हूँ l
पुर्तगाली कवि - फ़र्नान्दो पेसोवा (1888-1935)
पुर्तगाली से अंग्रेज़ी अनुवाद - रिचर्ड ज़ेनिथ
प्रकाशक - ग्रोव प्रेस, न्यूयार्क, 1998
अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद - अपूर्वानंद
भेड़ें हैं मेरे विचार
और हर विचार एक संवेदना l
मैं सोचता हूँ अपनी आँखों से और अपने कानों से
और अपने हाथों और पैरों से
और अपनी नाक और अपने मुँह से l
एक फूल को सोचना है उसे देखना और सूँघना
और एक फल को खाना है उसके मायने जानना।
यही वजह है कि किसी एक गर्म दिन
जिससे मैं इतना आनंदित होता हूँ
मैं उदास महसूस करता हूँ,
और मैं घास पर लेट जाता हूँ
और अपनी गरमाई आँखें मूँद लेता हूँ,
तब मैं महसूस करता हूँ अपनी लेटी हुई पूरी देह यथार्थ में,
मैं सत्य को जानता हूँ, और मैं खुश हूँ l
पुर्तगाली कवि - फ़र्नान्दो पेसोवा (1888-1935)
पुर्तगाली से अंग्रेज़ी अनुवाद - रिचर्ड ज़ेनिथ
प्रकाशक - ग्रोव प्रेस, न्यूयार्क, 1998
अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद - अपूर्वानंद
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