चंद्रकांत बावन में प्रेम में डूबा था
सत्तावन में चुनाव उसको अजूबा था
बासठ में चिंतित उपदेश से ऊबा था
सरसठ में लोहिया था और ...और क्यूबा था
फिर जब बहत्तर में वोट पड़ा तो यह मुल्क नहीं था
हर जगह एक सूबेदार था हर जगह सूबा था
अब बचा महबूबा पर महबूबा था कैसे लिखूँ
कवि - रघुवीर सहाय
संकलन - रघुवीर सहाय : प्रतिनिधि कविताएँ
संपादक - सुरेश शर्मा
प्रकाशक - राजकमल पेपरबैक्स, दिल्ली, पहला संस्करण - 1994
संकलन - रघुवीर सहाय : प्रतिनिधि कविताएँ
संपादक - सुरेश शर्मा
प्रकाशक - राजकमल पेपरबैक्स, दिल्ली, पहला संस्करण - 1994
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें