देखो -
मेरे मन के ड्राअर में
तुम्हारी स्मृति के पृष्ठ,
कुछ बिखर से गये हैं !
समय के हाथों से
कुछ छितर से गये हैं !
आओ -
तनिक इन्हें सँवार दो,
तनिक सा दुलार दो,
और फिर जतन से सहेज कर -
अपने विश्वास के आलपिन में बद्ध कर,
प्यार के पेपरवेट से
तनिक सा दबा दो !
कवयित्री - ममता कालिया
किताब - ममता कालिया : पचास कविताएँ, नयी सदी के लिए चयन
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, 2012
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