रंग गेहुआ ढंग खेतिहर
उसके माथे पर चोट का निशान
क़द ५ फुट से कम नहीं
ऐसी बात करता कि उसे कोई ग़म नहीं l
तुतलाता है l
उम्र पूछो तो हज़ारों साल से कुछ ज़्यादा बतलाता है l
देखने में पागल-सा लगता - है नहीं l
कई बार ऊँचाइयों से गिर कर टूट चुका है
इसलिए देखने पर जुड़ा हुआ लगेगा
हिन्दुस्तान के नक़्शे की तरह l
कवि - कुँवर नारायण
संग्रह - अपने सामने
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 1979
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