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शनिवार, 15 जून 2013

ये बातें झूठी बातें हैं (Ye batein jhoothi batein hain by Ibne Insha)


ये   बातें  झूठी   बातें   हैं   ये   लोगों   ने   फैलाई   हैं 
तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई है ?

हैं लाखों रोग ज़माने में, क्यों इश्क़ है रुस्वा बेचारा 
हैं और भी वजहें वहशत की, इंशा को रखतीं दुखियारा 
हाँ बेकल-बेकल रहता है, हो पीत में जिसने जी हारा 
पर शाम से लेकर सुब्ह तलक, यूँ कौन फिरेगा आवारा ?
ये   बातें  झूठी   बातें   हैं   ये   लोगों   ने   फैलाई   हैं 
तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई है ?

ये बात अजीब सुनाते हो, वो दुनिया से बेआस हुए 
इक नाम सुना और ग़श खाया, इक ज़िक्र पे आप उदास हुए 
वो इल्म में अफ़लातून बने, वो शेर में तुलसीदास हुए 
वो तीस बरस के होते हैं, वो बी.ए. एम. ए. पास हुए
ये   बातें  झूठी   बातें   हैं   ये   लोगों   ने   फैलाई   हैं 
तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई है ?

गर इश्क़ किया है तब क्या है, क्यों शाद नहीं आबाद नहीं 
जो जान लिए बिन टल न सके, ये ऐसी भी उफ़ताद नहीं 
ये बात तो तुम भी मानोगे, वो क़ैस नहीं, फरहाद नहीं 
क्या हिज्र का दारू मुश्किल है, क्या वस्ल के नुस्ख़े याद नहीं 
ये   बातें  झूठी   बातें   हैं   ये   लोगों   ने   फैलाई   हैं 
तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई है ?

वो लड़की अच्छी लड़की है, तुम नाम न लो हम जान गए 
वो जिसके लाँबे गेसू हैं, पहचान गए पहचान गए 
हाँ साथ हमारे इंशा भी उस घर में थे मेहमान गए 
पर उससे तो कुछ बात न की, अनजान रहे अनजान गए 
ये   बातें  झूठी   बातें   हैं   ये   लोगों   ने   फैलाई   हैं 
तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई है ?

जो हमसे कहो हम करते हैं, क्या इंशा को समझाना है ?
उस लड़की से भी कह लेंगे, गो अब कुछ और ज़माना है 
या छोड़ें या तक्मील करें, ये इश्क़ है या अफ़साना है ?
ये कैसा गोरखधंधा है, ये कैसा ताना-बाना है ?
ये   बातें  झूठी   बातें   हैं   ये   लोगों   ने   फैलाई   हैं 
तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई है ?

सौदाई =  पागल           वहशत = घबराहट     
शाद = प्रसन्न              उफ़ताद = अचानक आई हुई विपत्ति 
दारू = दवा                   तक्मील = पूर्णता को पहुँचाना



शायर - इब्ने इंशा (1927-1978) 
किताब - इब्ने इंशा : प्रतिनिधि कविताएँ
संपादक - अब्दुल बिस्मिल्लाह
प्रकाशक - राजकमल पेपरबैक्स , दिल्ली, पहला संस्करण - 1990

 




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