आँसू का मोल न लूँगी मैं !
यह क्षण क्या ? द्रुत मेरा स्पंदन ;
यह रज क्या ? नव मेरा मृदु तन ;
यह जग क्या ? लघु मेरा दर्पण ;
प्रिय तुम क्या ? चिर मेरे जीवन ;
मेरे सब सब में प्रिय तुम,
किससे व्यापार करूँगी मैं ?
आँसू का मोल न लूँगी मैं !
निर्जल हो जाने दो बादल ;
मधु से रीते सुमनों के दल ;
करुणा बिन जगती का अंचल ;
मधुर व्यथा बिन जीवन के पल ;
मेरे दृग में अक्षय जल,
रहने दो विश्व भरूँगी मैं !
आँसू का मोल न लूँगी मैं !
मिथ्या, प्रिय मेरा अवगुण्ठन
पाप शाप, मेरा भोलापन !
चरम सत्य, यह सुधि का दंशन,
अंतहीन, मेरा करुणा-कण ;
युग युग के बंधन को प्रिय !
पल में हँस 'मुक्ति' करूँगी मैं !
आँसू का मोल न लूँगी मैं !
कवयित्री - महादेवी वर्मा
संकलन - महादेवी साहित्य समग्र, भाग 1
संपादन - निर्मला जैन
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, 2000
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