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शुक्रवार, 8 मार्च 2013

आँसू का मोल न लूँगी मैं (Aansoo ka mol na loongi main by Mahadevi Verma)


आँसू का मोल न लूँगी मैं !

यह क्षण क्या ? द्रुत मेरा स्पंदन ;
यह रज क्या ? नव मेरा मृदु तन ;
यह जग क्या ? लघु मेरा दर्पण ;
प्रिय तुम क्या ? चिर मेरे जीवन ;

                     मेरे सब सब में प्रिय तुम,
                     किससे व्यापार करूँगी मैं ?

आँसू का मोल न लूँगी मैं !

निर्जल हो जाने दो बादल ;
मधु से रीते सुमनों के दल ;
करुणा बिन जगती का अंचल ;
मधुर व्यथा बिन जीवन के पल ;

                     मेरे दृग में अक्षय जल,
                     रहने दो विश्व भरूँगी मैं !

आँसू का मोल न लूँगी मैं !

मिथ्या, प्रिय मेरा अवगुण्ठन 
पाप शाप, मेरा भोलापन !
चरम सत्य, यह सुधि का दंशन,
अंतहीन, मेरा करुणा-कण ;

                     युग युग के बंधन को प्रिय !
                     पल में हँस 'मुक्ति' करूँगी मैं !

आँसू का मोल न लूँगी मैं !


कवयित्री - महादेवी वर्मा 
संकलन - महादेवी साहित्य समग्र, भाग 1 
संपादन - निर्मला जैन 
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली,  2000
         

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