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सोमवार, 18 मार्च 2013

सुनो (Suno by Pash)

हमारे चूल्हे का संगीत सुनो 
हम दर्दमंदों की पीड़ा-लिपटी चीख़ सुनो 
मेरी बीवी की फ़रमाइश सुनो 

मेरी बच्ची की हर माँग सुनो 
मेरी बीड़ी के भीतर का ज़हर गिनो 
मेरे खाँसने का मृदंग सुनो 
मेरी पैबंदों-भरी पतलून की ठंडी आह सुनो 
मेरे पाँव में पहनी जूती से 
मेरे फटे दिल का दर्द सुनो 
मेरी निःशब्द आवाज़ सुनो 
मेरे बोलने का अंदाज़ सुनो 
मेरे ग़ज़ब का ज़रा अंदाज़ करो 
मेरे रोष का ज़रा हिसाब सुनो 
मेरे शिष्टाचार की लाश लो 
मेरे वहशत का अब राग सुनो 
आओ आज अनपढ़ जंगलियों से 
पढ़ा-लिखा इक गीत सुनो 
आप गलत सुनो या ठीक सुनो 
हमसे हमारी नीति सुनो l 



कवि - पाश 
किताब - सम्पूर्ण कविताएँ : पाश 
संपादन और अनुवाद - चमनलाल 
प्रकाशक - आधार प्रकाशन, पंचकूला, हरियाणा, 2002

1 टिप्पणी:

  1. पूर्वा जी, पाश की कविता पढ़कर अनद आ गया। आपको साधुवाद

    गौरव अवस्थी

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