टूटी चूड़ी-सा चाँद
न जाने निर्जन नभ में
किसकी मृदुल
कलाई से गिर पड़ा ! -
हाय, दूज की चाँद
कौन, जग से अदृश्य,
गोरी होगी वह !
कवि - सुमित्रानंदन पन्त
संकलन - स्वच्छंद
प्रमुख संपादक - अशोक वाजपेयी, संपादक - अपूर्वानंद, प्रभात रंजन
प्रकाशक - महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के लिए राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2000
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