बात बोलेगी
हम नहीं
भेद खोलेगी
बात ही l
सत्य का मुख
झूठ की आँखें
क्या - देखें !
सत्य का रुख
समय का रुख है :
अभय जनता को
सत्य ही सुख है,
सत्य ही सुख l
दैन्य दानव ; काल
भीषण ; क्रूर
स्थिति ; कंगाल
बुद्धि ; घर मज़दूर l
सत्य का
क्या रंग ?
पूछो
एक संग l
एक - जनता का
दुःख एक l
हवा में उड़ती पताकाएँ
अनेक l
दैन्य दानव l क्रूर स्थिति l
कंगाल बुद्धि l मजूर घर भर l
एक जनता का अमर वर l
एकता का स्वर l
- अन्यथा स्वातन्त्र्य इति l
कवि - शमशेरबहादुर सिंह
संकलन - दूसरा सप्तक
संपादक - अज्ञेय
प्रकाशक - भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, पहला संस्करण - 1949
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें