एक भिखारी ने
दूसरे भिखारी को सूचना दी :
उस द्वार जाओ, वहाँ भिक्षा ज़रूर मिलेगी l
बड़े काम की चीज़ है भाषा : उस के सहारे
एक से दूसरे तक
जानकारी पहुँचायी जा सकती है l
वह सामाजिक उपकरण है l
पर नहीं l उस से भी बड़ी बात है यह
कि भाषा है तो
एक भिखारी जानता है कि वह दूसरे से जुड़ा हुआ है
क्यों कि वह उस जानकारी का
साझा करने की स्थिति में है l
वह मानवीय उपलब्धि है l
हम सभी भिखारी हैं l
भाषा की शक्ति
यह नहीं कि उस के सहारे
सम्प्रेषण होता है :
शक्ति इस में है कि उस के सहारे
पहचान का वह सम्बन्ध बनता है जिस में
सम्प्रेषण सार्थक होता है l
कवि - अज्ञेय
संकलन - नदी की बाँक पर छाया (कविताएँ 1977-81)
प्रकाशक - राजपाल एण्ड सन्ज़, दिल्ली, 1981
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