दुखी हैं तो क्यों आप झुँझला रहे हैं
कियेका ही तो अपने फल पा रहे हैं l
कभी उनके कामोंपै भी मन लगाते,
जो अगलों के गुन रात दिन गा रहे हैं l
जो उलटी समझ है तो है काम उलटा उलटा,
कि वह सीधी बातोंको उलझा रहे हैं l
नयी उलझनें और पड़ती हैं आकर,
यह क्या गुत्थियाँ आप सुलझा रहे हैं l
किधर जा रहे हैं, नहीं इसकी सुधबुध,
जो हैं अपनी धुनमें, चले जा रहे हैं l
नहीं खेल लड़कोंका कुछ देस भगती,
यही कबसे हम तुमको समझा रहे हैं l
जो हो प्यार आपसमें तो भाग जागें,
तुम्हें बात यह गुरकी बतला रहे हैं l
नहीं साँचको आँच, भूलो न इसको,
वह पछतायेंगे, अब जो इतरा रहे हैं l
वही बात है साथ ले डूबनेकी,
जो बहके हुए हैं वह बहका रहे हैं l
है एक आपका और उसका विधाता,
हरीजनसे क्यों आप कतरा रहे हैं l
यह क्या उलटी गंगा बहानेकी सूझी,
कि भाईसे भाई छुटे जा रहे हैं l
न आना कभी उनकी बातोंमें देखो,
जो अनबन यहाँ हममें फैला रहे हैं l
कड़ा जीको रखना कि विपदाके बादल,
जहाँ जायँ हम सरपै मंडला रहे हैं l
न जाने यह चक्कर कहाँ जाके ठहरे,
अभीसे यह क्यों आप घबरा रहे हैं l
सूनी अनसुनी कर दें क्या इससे हमको,
जो कहना है 'कैफ़ी' कहे जा रहे हैं l
शायर - अल्लामा 'कैफ़ी'
किताब - सितारे (हिन्दुस्तानी पद्योंका सुन्दर चुनाव)
संकलनकर्ता - अमृतलाल नाणावटी, श्रीमननारायण अग्रवाल, घनश्याम 'सीमाब'
प्रकाशक - हिन्दुस्तानी प्रचार सभा, वर्धा, तीसरी बार, अप्रैल, 1952
कियेका ही तो अपने फल पा रहे हैं l
कभी उनके कामोंपै भी मन लगाते,
जो अगलों के गुन रात दिन गा रहे हैं l
जो उलटी समझ है तो है काम उलटा उलटा,
कि वह सीधी बातोंको उलझा रहे हैं l
नयी उलझनें और पड़ती हैं आकर,
यह क्या गुत्थियाँ आप सुलझा रहे हैं l
किधर जा रहे हैं, नहीं इसकी सुधबुध,
जो हैं अपनी धुनमें, चले जा रहे हैं l
नहीं खेल लड़कोंका कुछ देस भगती,
यही कबसे हम तुमको समझा रहे हैं l
जो हो प्यार आपसमें तो भाग जागें,
तुम्हें बात यह गुरकी बतला रहे हैं l
नहीं साँचको आँच, भूलो न इसको,
वह पछतायेंगे, अब जो इतरा रहे हैं l
वही बात है साथ ले डूबनेकी,
जो बहके हुए हैं वह बहका रहे हैं l
है एक आपका और उसका विधाता,
हरीजनसे क्यों आप कतरा रहे हैं l
यह क्या उलटी गंगा बहानेकी सूझी,
कि भाईसे भाई छुटे जा रहे हैं l
न आना कभी उनकी बातोंमें देखो,
जो अनबन यहाँ हममें फैला रहे हैं l
कड़ा जीको रखना कि विपदाके बादल,
जहाँ जायँ हम सरपै मंडला रहे हैं l
न जाने यह चक्कर कहाँ जाके ठहरे,
अभीसे यह क्यों आप घबरा रहे हैं l
सूनी अनसुनी कर दें क्या इससे हमको,
जो कहना है 'कैफ़ी' कहे जा रहे हैं l
शायर - अल्लामा 'कैफ़ी'
किताब - सितारे (हिन्दुस्तानी पद्योंका सुन्दर चुनाव)
संकलनकर्ता - अमृतलाल नाणावटी, श्रीमननारायण अग्रवाल, घनश्याम 'सीमाब'
प्रकाशक - हिन्दुस्तानी प्रचार सभा, वर्धा, तीसरी बार, अप्रैल, 1952
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