हो गया कम्पित शरद के शान्त, झीने ताल-सा
तन
आह, करुणा का अयाचित एक झोंका
सान्त्वना की तरह मन की सतह पर लहरा गया
कहाँ से उपजा ?
कहाँ को गया ?
कवि - विजय देव नारायण साही
संकलन - मछलीघर
प्रथम संस्करण के प्रकाशक - भारती भण्डार, इलाहाबाद, 1966
दूसरे संस्करण के प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, 1995
कविताओं का आपका चयन बहुत अच्छा होता है.
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