या रामां एक तू दानां, तेरा आदि वेषना l
तू सुलतान, सुलताना, बन्दा सकिस्ता अजाना ll टेक ll
मैं बेदियानत, बे नर दरमन्द बरखुरदार l
बे अदब बदबख्त वीरां, बे अकलि बदकार ll 1 ll
मैं गुनहगार, गुमराह, गाफिल, कमदिलां करतार l
तू दरकदर, दरियाब दिल, मैं हरिसिया हुसियार ll 2 ll
मैं हस्त खस्त खराब खातिर अन्देसा बिसियार l
रैदास दासहिं बोल साहब देहु अब दीदार ll 3 ll
कवि - रैदास (रविदास)
किताब - संत रैदास
लेखक - योगेन्द्र सिंह
प्रकाशक - लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, तृतीय संस्करण - 2004
मध्यकालीन भक्ति साहित्य में रैदास का नाम ख्यात है. उनके स्फुट पद, साखियाँ और प्रबंधात्मक रचना 'प्रह्लाद चरित' उपलब्ध हैं, भले ही उनमें पाठ भेद मिलते हैं. उनका जन्म अनुमानतः संवत् 1500 में बनारस के पास हुआ था. रैदास ने अपने बारे में खुद लिखा है -"मेरी जाति कुटवांढला ढोर ढोवंत नितहिं बनारसी आसपासा" और "हम शरणागति राम राई को, कह रैदास चमारा ll"
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