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शुक्रवार, 6 जुलाई 2012

गुरु कौ बचन (Guru kau bachan by Rakesh Ranjan)


आ बचवा, चल चिलम लगा दे !

रात भई, जी अकुलाता है
कैसा तो होता जाता है
ऊ ससुरा रमदसवा सरवा
अब तक रामचरित गाता है

रमदसवा जल्दी सो जाए
ऐसा कोई इलम लगा दे !  

आ बचवा, अन्दरवा आजा
हौले से जड़ दे दरवाजा
रामझरोखे पे लटका दे
तब तक यह बजरंगी धाजा

हाँ, अब सब कुछ बहुत सही है
फट से फायर फिलम लगा दे !


                             कवि - राकेश रंजन
                             संग्रह - अभी-अभी जनमा है कवि
                             प्रकाशक - प्रकाशन संस्थान, दिल्ली, 2007

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