कितने नसीब की बात है कि मैं चुन सकता हूँ
जंगल में बेरियाँ
मैंने सोचा था
कोई जंगल नहीं है और न बेरियाँ
कितने नसीब की बात है कि मैं लेट सकता हूँ
पेड़ की छाया में
मैंने सोचा था पेड़
अब और छाया नहीं देते
कितने नसीब की बात है कि मैं हूँ तुम्हारे साथ
मेरा दिल धड़कता है यों
मैंने सोचा था
आदमी के दिल नहीं होता.
पोलिश कवि - तादयूश रुज़ेविच
संग्रह - 'होलोकास्ट पोएट्री'
संकलन और प्रस्तावना - हिल्डा शिफ़
पोलिश से अंग्रेज़ी अनुवाद - ऐडम ज़ेर्निआव्स्की
प्रकाशक - सेंट मार्टिन्स ग्रिफिन, 1995
अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद - अपूर्वानंद
जितना अच्छा कविताओं का चयन है उतना ही अच्छा अनुवाद है। इसके पहले चार्ल्स बुकोव्स्की और येहूदा आमिखाई की कविताओं में भी विशेष आनंद आया। इन कविताओं को पढ़कर लगा कि कम बोलने वाली सहज कविताएं ज्यादा असर छोड़ जाती हैं।
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