बगल का घर मुझेउदास करता है.पति-पत्नी, दोनों तड़के जगते हैं औरकाम पर निकल जाते हैंवे शाम ढलते घर आ जाते हैं.उन्हें एक छोटालड़का और लड़की है.
रात नौ बजे तक घर की सारी बत्तियांबुझ जाती हैं.अगली सुबह दोनों, पति औरपत्नी फिर जागते हैं तड़के और जाते हैंकाम पर.वे शाम ढलते वापस आते हैं.नौ बजे रात तक सारी बत्तियांबुझ जाती हैं.बगल का घर मुझे
उदास करता है.लोग भले लोग हैं, मैं उन्हेंपसंद करता हूँ.
लेकिन मैं महसूस करता हूँ उन्हें डूबते हुए.
और मैं उन्हें बचा नहीं सकता.
वे जी रहे हैं.
वे
बेघर नहीं हैं.
लेकिन इसकी कीमत
भीषण है.
कभी-कभी दिन के वक्त
मैं घर को देखता हूँ
और वह घर
मुझे देखता है
और वह घर
रोता है, हाँ, हाँ!, मैं
इसे महसूस करता हूँ.
वह घर उदास है
उसमें रहने वाले लोगों के लिए
और मैं भी
और हम दोनों एक-दूसरे को देखते हैं
और गाड़ियां सड़क पर आती जाती हैं,
नावें बन्दरगाह पार करती हैं
और ऊंचे ताड़-वृक्ष कोंचते हैं
आसमान को
और आज रात नौ बजे
बत्तियां बुझ जाएँगी,
और न सिर्फ उस घर में
और न सिर्फ इस शहर में.
सुरक्षित जिंदगियां छिपाए हुए
लगभग
बंद,
सांसें
देहों की और
कुछ नहीं.
कुछ नहीं.
अमरीकी कवि - चार्ल्स बुकोव्स्की
संकलन - द प्लेज़र्स ऑफ द डैम्ड, पोएम्स 1951-1993
संपादक - जॉन मार्टिन
प्रकाशक - हार्पर कॉलिन्स पब्लिशर्स, न्यूयार्क, 2008
अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद - अपूर्वानंद
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